गुजरात: मरने के बाद भी वोटर लिस्ट में नाम… SIR में 17 लाख से ज्यादा मतदाताओं को लेकर खुलासा

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Posted On:Friday, December 5, 2025

बिहार के बाद, गुजरात सहित कई राज्यों में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की प्रक्रिया चल रही है। गुजरात में इस प्रक्रिया के दौरान एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि राज्य की मौजूदा वोटर लिस्ट में 17 लाख से अधिक मृत वोटर अभी भी शामिल हैं।

राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, गुजरात में SIR प्रक्रिया का काम 4 नवंबर को शुरू हुआ था। बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) द्वारा अपने निर्धारित इलाकों में एन्यूमरेशन फॉर्म बांटने के साथ यह काम शुरू हुआ और यह प्रक्रिया 11 दिसंबर तक चलेगी।

फॉर्म वितरण और डिजिटाइजेशन की स्थिति

SIR प्रक्रिया के तहत, 2025 की वोटर लिस्ट में दर्ज 5 करोड़ से अधिक वोटरों को एन्यूमरेशन फॉर्म बांटे गए हैं।

  • 100% वितरण: सीईओ के अनुसार, राज्य के 33 में से ज़्यादातर जिलों में 100 फीसदी फॉर्म बांटने का काम पूरा हो गया है।

  • डिजिटाइजेशन: वोटरों की ओर से भरकर लौटाए गए फॉर्म को डिजिटाइज करने का काम अभी चल रहा है। अब तक, 182 विधानसभा सीटों में से 12 सीटों पर डिजिटाइजेशन का काम पूरा हो गया है।

  • अग्रणी जिला: इस प्रक्रिया में डांग जिला सबसे आगे चल रहा है, जहाँ वापस आए फॉर्म में से 94.35 फीसदी डिजिटाइजेशन का काम पूरा कर लिया गया है

    SIR प्रक्रिया से सामने आई बड़ी विसंगतियाँ

राज्य चुनाव आयोग की ओर से जारी बयान में इस कवायद के दौरान वोटर लिस्ट में पाई गई प्रमुख विसंगतियों का खुलासा किया गया, जो लिस्ट की सटीकता पर गंभीर सवाल उठाती हैं:

विसंगति का प्रकार संख्या (लगभग)
मृत वोटर (अभी भी लिस्ट में शामिल) 17 लाख
पते पर नहीं मिले वोटर 6.14 लाख
स्थायी रूप से माइग्रेट किए वोटर 30 लाख से ज़्यादा
दोहराव वाले वोटर ("रिपीटेड" कैटेगरी) 3.25 लाख

आयोग के अनुसार, 3.25 लाख से ज़्यादा वोटर "रिपीटेड" कैटेगरी में मिले हैं, जिसका मतलब है कि उनके नाम एक से ज़्यादा जगहों पर पाए गए हैं।

SIR का महत्व

SIR प्रक्रिया वोटर लिस्ट को साफ और त्रुटिरहित बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। 17 लाख मृत वोटरों का मिलना दिखाता है कि पिछले कुछ वर्षों में वोटर लिस्ट का नियमित अद्यतन (अपडेशन) और शुद्धिकरण सही ढंग से नहीं हुआ था। इस तरह की अशुद्धियाँ चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकती हैं।

यह गहन पुनरीक्षण यह सुनिश्चित करेगा कि 2025 में प्रकाशित होने वाली अंतिम वोटर लिस्ट सबसे सटीक हो, जिससे हर योग्य नागरिक को मतदान का अधिकार मिल सके और अवैध मतदान की संभावना कम हो।


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