Film Review - द बिग बुल



हर्षद मेहता के घोटाले की कहानी तो सबको पता है मगर फिर भी अभिषेक बच्चन की परफॉर्मेंस के लिए इस फिल्म को देख सकते हैं।

Posted On:Saturday, April 17, 2021

कलाकार- अभिषेक बच्चन, इलियाना डिक्रूज़, निकिता दत्ता, सोहम शाह, सुप्रिया पाठक, महेश मांजरेकर, सौरभ शुक्ला, राम कपूर आदि।
निर्देशक- कूकी गुलाटी
निर्माता- अजय देवगन, आनंद पंडित। 


कूकी गुलाटी के निर्देशन और अभिषेक बच्चन के लीड रोल वाली फिल्म 'द बिग बुल' ओटीटी प्लैटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज कर दी गई है। नब्बे के दौर में हुए स्टॉक मार्केट घोटाले से प्रेरित फ़िल्म होने की वजह से यह लगभग तय हो गया था कि इसे हंसल मेहता की बहुचर्चित वेब सीरीज़ 'स्कैम 1992' की कसौटी पर कसा जाएगा। मगर, ऐसा करना फ़िल्म के साथ अन्याय होगा। फ़िल्म की अपनी सीमाएं होती हैं, जो वेब सीरीज़ के फैलाव का मुक़ाबला नहीं कर सकतीं। इसीलिए, 'स्कैम 1992- द हर्षद मेहता स्टोरी' को वहीं रहने देते हैं और हम आगे बढ़ते हैं। 

'द बिग बुल' मूल रूप से मुंबई की एक चॉल में रहने वाले गुजराती हेमंत शाह के फर्श से अर्श और फिर अर्श से वापस फर्श पर पहुंचने की कहानी है। हेमंत भी वैसे ही है, जैसे भारत के किसी निम्न मध्यम वर्गीय परिवार का कोई बड़ा बेटा होता है। परिवार की ज़िम्मेदारियों का बोझ कोई छोटी-मोटी नौकरी करने के लिए मजबूर तो कर देता है, मगर उन सपनों का क्या, जो उसने अपने लिए देखे हैं। आख़िर कब तक वो अपने ख़्वाबों को किसी ऐसी नौकरी के लिए कुर्बान करता रहेगा, जिससे अपनी प्रेमिका के पिता की शर्तों को भी पूरा ना कर सके और फिर दिमाग़ दौड़ने वाला हो तो ख़्वाहिशों पर लगाम कैसे लगे!

हेमंत को अपने सपनों की ताबीर शेयर बाज़ार में नज़र आती है। मगर, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रतिष्ठित 'दलाल' बनने के लिए भरी हुई जेब के साथ दिखाने के लिए सूट-टाई भी चाहिए होता है। साधारण शर्ट-पैंट पहनने वाले आदमी को भला कौन पैसा देगा? बैंक भी नहीं! बस यहां हेमंत का दिमाग़ चलता है। बैंकिंग सिस्टम के कुछ छेदों को तलाशकर वो अपनी ज़िंदगी तराशने निकलता है। हेमंत की नज़रों में यह ग़ैरक़ानूनी नहीं है, क्योंकि इन छेदों को बंद करने के लिए तब तक कोई क़ानून नहीं था।

हेमंत स्टॉक एक्सचेंज का सबसे बड़ा ब्रोकर बन जाता है। बड़े-बड़े बिज़नेसमैन अपने शेयर के भाव बढ़वाने के लिए हेमंत 'भाई' की शरण में पहुंचते हैं। उभरते और दमकते चेहरे सियासत को भी आकर्षित करते हैं। सियासी साथ मिलने से हेमंत भाई का इक़बाल और बुलंद होता है। इतना बुलंद कि हेमंत भाई अब देश के पहले बिलियनरे यानी अरबपति बनने का ख़्वाब देखने लगते हैं, मगर हेमंत शाह के सोने की चमक कई आंखों को चुभती है और यही आंखें उसे नीचे गिराने का काम करती हैं।

अति-आत्मविश्वासी और रफ़्तार का शौक़ीन हेमंत शाह अपनी अकड़ में छोटे भाई वीरेन शाह की चेतावनियों को भी नज़रअंदाज़ करता चला जाता है। वीरेन, हेमंत की रफ़्तार थामने के लिए एक ऐसा क़दम उठाता है, जो उसके अंत का आरम्भ बन जाता है। आख़िरकार, हेमंत हर तरफ़ से घिरने लगता है। बैंकिंग सिस्टम के जिन छेदों का इस्तेमाल हेमंत ने अपनी तिजोरी भरने के लिए किया, वो पकड़ में आ जाता है और यहीं से उसके पतन की कहानी शुरू हो जाती है, जो गुमनाम मौत पर जाकर ख़त्म होती है। 

कूकी गुलाटी के निर्देशन की आपको तारीफ करनी पड़ेगी, अभिषेक बच्चन ने अपने कैरक्टर के साथ पूरा न्याय किया है और उनकी मेहनत भी दिखती है। हालांकि कुछ सीन बेहद लाउड फिल्माए गए हैं जो नाटकीय लगते हैं। अभिषेक-निकिता की प्रेम कहानी भी फिल्म की स्टोरी में कई बार ब्रेक लगाती सी नजर आती है। जर्नलिस्ट मीरा राव के किरदार में इलियाना डिक्रूज़ जमती हैं लेकिन उनके किरदार को भी गहराई दिए जाने की जरूरत थी। फिल्म में सौरभ शुक्ला और राम कपूर भी हैं मगर कम स्क्रीनस्पेस के चलते उनके किरदार जाया हो जाते से लगते हैं।

कुल मिलाकर 'द बिग बुल' स्टॉक एक्सचेंज घोटाले के मास्टरमाइंड को विलेन के बजाय मानवीय दृष्टिकोण से देखने के लिए मजबूर करती है। फ़िल्म का क्लाइमैक्स आपको इस सवाल के साथ छोड़ जाता है कि हेमंत शाह हीरो था या विलेन या इन दोनों के बीच कोई ऐसा शख़्स, जो बस अच्छी ज़िंदगी चाहता था। 
 



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